रविंद्र कुमार की सफलता की कहानी: संघर्ष से लेकर माउंट एवरेस्ट तक

Success Story of Ravindra Kumar: From Struggle to Mount Everest

पटना: रविंद्र कुमार की सफलता की कहानी किसी प्रेरणा से कम नहीं है। बिहार के बेगूसराय जिले के चेरिया बरियारपुर गांव से ताल्लुक रखने वाले रविंद्र कुमार ने प्रशासनिक सेवा में उत्कृष्टता हासिल करने के साथ-साथ माउंट एवरेस्ट जैसी ऊंची चोटी पर भी चढ़ाई की है। वे 2011 बैच के आईएएस अधिकारी हैं और वर्तमान में बरेली के जिलाधिकारी (डीएम) के रूप में कार्यरत हैं।

बचपन और शिक्षा
रविंद्र कुमार का बचपन बिहार के एक छोटे से गांव में बीता। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा वहीं से प्राप्त की और फिर 1999 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) की परीक्षा पास की। हालांकि, उनका जीवन का रुख कुछ अलग था। IIT से इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद उन्होंने शिपिंग (मर्चेंट नेवी) में करियर बनाने का निर्णय लिया। मुंबई के टीएस चाणक्य से स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद वे मर्चेंट नेवी में चीफ ऑफिसर के पद तक पहुंचे और 2009 तक वहां काम किया। इसके बाद, उन्होंने अपनी जिंदगी को एक नया मोड़ देने का फैसला किया और सिविल सेवा की तैयारी शुरू की।

आईएएस अधिकारी बनने का सफर
2009 में मर्चेंट नेवी छोड़ने के बाद रविंद्र कुमार ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) की तैयारी शुरू की और 2011 में सिविल सेवा परीक्षा पास कर आईएएस अधिकारी बन गए। उनकी प्रशासनिक यात्रा सिक्किम कैडर से शुरू हुई, जहां उन्होंने सहायक कलेक्टर, एसडीएम और एडवेंचर इंस्टीट्यूट के निदेशक जैसे महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। 2016 में उनका कैडर उत्तर प्रदेश में बदल गया और इसके बाद उन्होंने झांसी, बुलंदशहर और फर्रुखाबाद जिलों में जिलाधिकारी के रूप में कार्य किया।

माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई
रविंद्र कुमार की साहसिक यात्राएं भी काबिले तारीफ हैं। 2013 में उन्होंने माउंट एवरेस्ट की पहली चढ़ाई की और इसे सफलतापूर्वक पूरा किया। इसके बाद 2015 में उन्होंने दूसरी बार इस महान शिखर पर चढ़ाई की। पर्वतारोहण में उनका रुझान 2011 में सिक्किम भूकंप के बाद बचाव अभियानों के दौरान हुआ, जब उन्होंने स्थानीय पर्वतारोहियों को देखा और खुद भी पर्वतारोहण की ट्रेनिंग ली। हिमालय पर्वतारोहण संस्थान से उन्होंने इस कड़ी चुनौती के लिए आवश्यक प्रशिक्षण प्राप्त किया।

यूपी के बरेली में डीएम के रूप में कार्य
रविंद्र कुमार की सफलता का एक बड़ा कारण उनका अनुशासन और मेहनत है। वे वर्तमान में बरेली के जिलाधिकारी के रूप में कार्यरत हैं। उनका कहना है कि माउंट एवरेस्ट की चोटी पर खड़ा होना एक अविस्मरणीय अनुभव था, जहां उन्हें पृथ्वी का गोल आकार और चारों ओर फैली शांति दिखाई दी। इसके बाद उन्होंने प्रशासनिक सेवाओं में भी उतनी ही मेहनत की, जिससे वे अपने कार्यक्षेत्र में सफल हो पाए।

रविंद्र कुमार की कहानी यह साबित करती है कि अगर मन में ठान लिया जाए, तो किसी भी मुश्किल को पार किया जा सकता है। उनकी जीवन यात्रा एक उदाहरण है, जिसमें उन्होंने अपनी कठिनाइयों को चुनौती के रूप में लिया और सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचे।

ये खबरें भी अवश्य पढ़े

Leave a Comment